Apharan [2018 web-series] Full Season 1-Hindi 480p HDRip
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अपहरण के सभी 12 एपिसोड 14 दिसंबर को रिलीज़ किए गए हैं. इस वेब सीरीज़ को लेकर कितना क्रेज़ था इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यू ट्यूब में इसके ट्रेलर के ही अब तक 47 लाख से ज़्यादा व्यूज़ हो चुके हैं.
‘एक हसीना थी, एक दीवाना था’ नाम के पहले एपिसोड से शुरू हुए वेब सीरीज़ के इस पहले सीज़न का पटाक्षेप होता है ‘प्यार में दिल पे मार दे गोली, लेले मेरी जान’ नाम के बारहवें एपिसोड पर. हर एपिसोड 20 से 25 मिनट का है. तो कुल रनिंग टाइम हुआ, लगभग सारे चार घंटे.
रूद्र श्रीवास्तव, सीनियर इंस्पेक्टर, उत्तराखंड पुलिस, इस सीरीज़ का नायक भी है और सूत्रधार भी. वो अपनी कहानी फ़्लैशबैक से शुरू करता है, और कहानी का नाम रखता है ‘घंटे की ईमानदारी’. क्यूंकि अपनी ईमानदारी के चलते उसे भ्रष्टाचार के इल्ज़ाम में जेल जाना पड़ता है. ये तो उसकी ‘ईमानदारी की पहली EMI’ भर होती है. क्यूंकि बेशक वो अच्छे चाल-चलन के चलते ज़ल्दी यानी 3 साल में छूट तो जाता है लेकिन ये समय भी बहुत लंबा समय होता है क्यूंकि तब तक सारी चीज़ें बदल चुकती हैं. उन्हीं बदल चुकी चीज़ों को सुधारने के लिए उसे खुद एक अपहरण के बहुत आसान से दिखने वाले प्लॉट का हिस्सा बनना पड़ता है.
चूंकि ये सब पहले के ही एकाध एपिसोड में घट जाता है, और साथ ही चूंकि वेब सीरीज़ के ट्रेलर में इससे भी कहीं ज़्यादा चीज़ें दिखा दी गई हैं, इसलिए इसे स्पॉइलर में काउंट नहीं किया जा सकता. लेकिन इतनी ही कहानी होती तो दो एपिसोड में निपट जाती.
हां! इससे ज़्यादा स्टोरी बताएंगे तो स्पॉइलर आड़े आता है और वन लाइनर बताएंगे तो सेंसर आड़े आता है. मतलब ये कि डायलॉग्स की बात करें तो लगभग सारे ही कोट कर सकने वाले डायलॉग्स में कम या ज़्यादा मात्रा में अश्लीलता है ही. युवाओं को ये डायलॉग्स पसंद आएंगे. और जहां युवा और सोशल मीडिया है वहां मीम हैं. और यूं बेशक हमारे माध्यम से नहीं लेकिन कहीं और से ये डायलॉग्स आप तक पहुंचने में सफल हो ही जाएंगे. एक ‘कुछ शिष्ट सा’ डायलॉग पढ़कर आपको इस वेब सीरीज़ के बारे में कुछ कुछ अंदाज़ा हो जाएगा –
किडनैप हुई हो, गोद नहीं ले ली गई हो. दर्द रखो अपनी आवाज़ में.
इस तरह ये वही ट्रेंड फ़ॉलो करता है जिसे अमेज़न के ‘मिर्ज़ापुर’ और उससे पहले नेटफ्लिक्स के ‘सेक्रेड गेम्स’ ने स्थापित किया था. लेकिन इसकी तुलना ‘मिर्ज़ापुर’ और ‘सेक्रेड गेम्स’ से करना इसलिए बेमानी होगी क्यूंकि ट्रीटमेंट के स्तर पर ये दोनों के कहीं बीच में बैठता है. जैसे इसमें सेक्स और वीभत्सता सेक्रेड गेम्स से अधिक लेकिन मिर्ज़ापुर से कम है वहीं ये मिर्ज़ापुर से अधिक प्रीमियम लगता है लेकिन सेक्रेड गेम्स से कम.
क्रिएटिव लिबर्टी के नाम पर ढेरों गोलियों में से रूद्र को एक भी न लगना जैसी कई कमियां हैं जो हज़म नहीं होतीं. वैसे कहीं कहीं डिटेलिंग अच्छी लगती है, जैसे आज से पहले शायद ही सिक्योरिटी गार्ड्स को अपनी नौकरी पर लानत देते हुए सुना होगा या फिर किसी इवेंट मैनेजर या कोरियोग्राफर को दुल्हन पर लाइन मारते, तब जबकि वो दोनों की स्टोरी के पार्ट नहीं हैं.
सीरीज़ के डायरेक्टर सिद्धार्थ सेनगुप्ता इससे पहले बालिका वधु जैसे सुपरहिट सीरियल डायरेक्ट कर चुके हैं. उनका निर्देशन और मोहिंदर प्रताप सिंह की स्टोरी और स्क्रीनप्ले ग्रिपिंग लेकिन प्रिडिक्टेबल है, बीच में एस के बटालवी के एक लोक गीत को सुनकर अच्छा लगता है.
किरदारों की बात करें तो रूद्र श्रीवास्तव की बीवी रंजना, जिन्हें पाकर वो अपना घर भर लिए हैं, का किरदार निधि सिंह ने निभाया है. पूरी सीरीज़ में इतने मंझे हुए एक्टर्स के बावज़ूद सबसे अच्छी एक्टिंग उनकी ही कही जाएगी. जिसका अपहरण होना है उसका नाम अनुषा या अनु है, ये अपेक्षाकृत छोटा सा लेकिन महत्वपूर्ण रोल है जिसे मोनिका चौधरी से अच्छे से निभाया है. अनु के बाप गोविंद त्यागी की 3 शुगर मिल हैं लेकिन चाय फिर भी फीकी पीते हैं. संजय बत्रा अपने इस अवतार में खडूस लगे हैं और ये उनकी एक्टिंग की सफलता कही जाएगी. संजय, सिद्धार्थ के साथ बालिका वधु के समय से जुड़े हैं. गोविंद की बीवी और पूरे अपहरण की सूत्रधार मधु का चरित्र सबसे दमदार होने के बावजूद लेयर्ड न होकर स्टीरियोटाइप्ड ज़्यादा है. ऐसे किरदार आपको रियल लाइफ में शायद ही दिखें लेकिन टीवी से लेकर फिल्मों तक में इनकी भरमार है. इसे निभाया है देव-डी फेम माही गिल ने. वरुण बडोला, सूर्यकांत नाम के पुलिसवाले बने हैं. उनकी एंट्री कुछ एपिसोड गुज़र जाने के बाद होती है. वो अच्छे सेंस ऑफ़ ह्यूमर के साथ-साथ अच्छा आईक्यू भी रखते हैं. बाकी लोग अपने छोटे-मोटे रोल को जस्टिफाई कर ले गए हैं.
इन सबके बीच सबसे औसत एक्टिंग, रूद्र श्रीवास्तव का किरदार निभा रहे अरुणोदय सिंह की ही रही. जबकि उनके लिए ये एक बेहतरीन मौक़ा था अपने एक्टिंग करियर को पुश करने का.
कई जगह पर स्त्रियों को ऑब्जेक्टीफाई किया गया है, और सीरीज़ कुल मिलाकर उनके स्टेट्स को कमतर करके दिखाती है. सीरियल एकता कपूर की नज़रों से गुज़रा ही होगा, उसके बावज़ूद महिलाओं की ये दशा समझ से परे है.
फाइनल वर्डिक्ट की बात करें तो कुल मिलाकर इस सीरीज़ में 4 घंटे के लगभग इंवेस्ट करना इतना बुरा सौदा भी नहीं कहा जाएगा.
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Rudra Srivastava, a senior inspector with Uttarakhand police is lured into kidnapping a young girl at her request. The plot begins as a simple plan to extort money in exchange for her release. When the chain of events go wrong and a series of lies unfold, he realizes that he is now a part of a deadly conspiracy. Will he be able to escape the outcome of his choices or become a victim of the web of lies?
480p 897mb Complete
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